भाई कमाल का देश है भारत ... सोने की चिड़ियाँ ऐसे थोड़े कहा जाता रहा है ... यहाँ कण कण में रुपया व्याप्त है ... बुद्धि लगाओ और लपेटो ....
आप सोच रहे होंगे की खुर्पेंचूं आज पगला गया .... अनाप सनाप बके जा रहा है ... जिस देश के हर चाय गोष्ठी में मुद्दा गरीबी, बेरोज़गारी या फिर तंगहाली हो, वहां कण कण में रूपया व्याप्त होने की बात करने वाले को पागल ही कहा जायेगा ... लेकिन भाई साहेब जो घटना मेरे साथ घटी, अगर आप के साथ होता, तो मुझसे ज्यादा पगलाते आप... भाई कारण ही ऐसा था .... हुआ यूँ की चार-पांच दिन पहले, अपने मोबाइल के बिल संबंधी जांच हेतु मैंने अपने सेवा दाता के ग्राहक सेवा केंद्र (121 ) पर फ़ोन घुमा दिया ... जब मेरी संतुष्ठी, स्व-उत्तरित विकल्पों से नहीं हो पाई , तो मैंने मामले की खोद - खाद (Investigation ) की इक्छा से ग्राहक सेवा अधिकारी को संपर्क साधा .... तरीका आज कल थोडा टेढ़ा है ... 1 ,2 , ..4 ,..1 ..2 ... और पता नहीं क्या क्या के बाद ...9 ... नंबर का विकल्प आता है .... तब जाकर कहीं आप कंनेक्ट हो पाने की स्थिति में होते हैं ... हर बार की तरह मै मानसिक रूप से तैयार था, की अभी अधिकारी संपर्क में आएगा/आएगी और हमारे खोद - खाद (Investigative) मानसिकता से ग्रस्त प्रश्नों पर पहले तो दो तीन मिनट टंगे रहने का अनुरोध करेगा ... और फिर अंततः मुझे संपर्क में लेकर रटा - रटाया जबाब देगा की " माफी चाहूंगा महानुभाव, तुरंत - फुरंत में इसका समाधान उपलब्ध नहीं है ... शिकायत दर्ज कर देता हूँ ... अगले 24 से 48 घंटे में इसका समाधान हो जाएगा ".... लेकिन संपर्क से पहले एक ऐसा विष्फोट हुआ, की मैं सन्न रह गया ...चल श्रवण यन्त्र (मोबाइल) के श्रवण भाग ( सुनने वाली जगह ) पर उद्घोषण हुआ .." आपने ऐसे विकल्प को चुना है ... जिसके लिए आपको प्रति तीन मिनट 50 पैसे देने होंगे " ...है न विस्फोटक ... हालाँकि आकार आलू बम जैसा, लेकिन असर ऐसा की दिल दिमाग दमदमा दे ...
मुझे पता है आप सब इस वक्त क्या सोच रहे है ?... मन ही मन कह रहें होंगे की लिखने वाले का नाम "खुर्पेंचू" नहीं "घेन्चू" होना चाहिए ... आठ आने खर्चा और गज भर का पर्चा ... तो मंदी में हर पहली तारीख को, भगवान भरोसे मोटी तनख्वाह घर ले जाने वाले सशंकितों ... आपको क्लीअर कर दूं, की मैंने सेवा केंद्र पर, मधुर कंठी महिला ग्राहक से फोन मट््टका की इक्छा रखकर संपर्क नहीं साधा था ... जो पांच मिनट के 50 रुपये भी गुदगुदी ही देता ... जिस सेवा के लिए हर महीने बिना खोद - खाद, एक मुस्त रकम, सेवा दाता को देर हर्जाना सहित अदा करता हूँ ... उसी सेवा से असंतुष्टी ने मुझे ... 1 ,2 , ..4 ,..1 ..2 ... और पता नहीं क्या - क्या के बाद ... 9 ... के झमेले में खींच लाया था ... तो विचारकों अब आप ही फैसला करें की ... हफ्ते भर पहले तक भी, जहां हाड कंपाऊ इस सेवा केंद्र के झंझटिया संपर्क यातायात में घुसने से पहले ... घंटों हिम्मत हसोतना (दाना दाना समेटना) पड़ता था ... वहीँ 9 नंबर के नाके पर, 50 पैसे चुंगी के उदघोषण को ... विस्फोट की संज्ञा देना यथोचित उचित नहीं है क्या ? ... मैं तो फिर भी बाद अदायगी (Post Paid ) वाला ग्राहक हूँ ... संतोष है की पैसा महीने बाद देना है ... लेकिन उन अग्रिम अदायगी (Pre Paid) वालों के संताप का क्या ... जिनके छोटे - छोटे रीचार्ज का दम ग्राहक सेवा अधिकारी तक पहुँचने में ही निकल जाएगा ...
तो बांधवों अब आपको काफी क्लीअर हो गया होगा, की कैसे हमारा देश आज भी सोने की चिड़ियाँ है ... यहाँ करोड़ों बी पी एल से नीचे जीने वालों के जेब में व्याप्त है चवन्नी, अठन्नी और रूपया ... बस निकालने वाला हुनरबाज़ चाहिए ... एक लपेटे में करोड़ों अन्दर ....
वैसे एक बात नहीं पची ... की " आम आदमी का हाथ - अपने साथ " होने का दावा करने वाले राजनेताओं, और आम समस्याओं पर घंटों बहस करवाने वाले पेड ठेकेदारों की कड़ी नज़र, कभी इस तरह की समस्याओं पर क्यूँ नहीं जाती ... क्या वाकई कोई व्यवहारिक मजबूरी है ... जो ये लोग रोज़ मर्रे की इस बड़े नुकसान पहुँचाने वाले अठन्नी - चवन्नी समस्याओं पर, अमूमन चीड - फाड़ बहस से कतराते हैं ... या फिर प्रिंस, आरुशी, तालिबान, भ्रष्ट बाबा, सानिया आदि जैसे अनुपयोगी लेकिन मनोरंजक मुद्दों की बढती संख्या और व्यवसायिक मांग के आगे ... इन तथाकथित छोटे मुद्दों का उचित बहस मंच पर नंबर ही नहीं आ पाता है .... चलिए छोडिये ... राम की महिमा..रामै जाने ... हम इतने भी बड़े खुर्पेंचू नहीं हैं, की कहीं भी अनधाकाहे खुरपेंच कर दें ...
मेरे साथ घटना घटी तो सोचा आपको आगाह कर दूं ... वैसे अगर इसी तरह इंडिया साइन करता रहा तो, एक और खतरे से आपको आगाह कर दूं ... भविष्य में अगर कभी रेलवे पूछताछ खिड़की पर, देर से आने वाली गाड़ी की जानकारी हेतु झांकें, तो पहले से अपना दाहिना हाथ बायीं छाती पर जमा लें ... ऐसा न हो की अपोजिट साइड से 10 रुपये का डिमांड, आपका ब्रम्हांड हिला दे और दिल, अगले 10 धड़कन के बाद दिक्कत महसूस करे ...
तो मेरे अपने राम भरोसों ... समय रहते संभल ले ... इसमें कोई बुराई नहीं ....
सेवा सही करो तुम अपनी, करना है हमें फ़ोन ...
बिन अठन्नी मैं काहे चिन्हूँ, आप हमारे कोन ...
छोटा रिचार्ज वाला हूँ मैं, तरस ही हमपे खा लो ..
ग्राहक धरम निभाओ अपना, पहले माल निकालो ...